Внук Германа. Эйхендорф

Hermanns Enkel (der Erste teil)

            Altdeutsch! - Altdeutsch? - Nun, das ist,
            Was man so in Buechern liest: -
            Kluge Rosse - praecht'ge Decken,
            Haendel, Kruzifixe, Recken -
            Oh, wie herrlich strahlt dies Leben!
            Goettlich! - Doch mit Unterschied.
            Es versteht sich, dass man's deute -
            's waer doch gar zu unbequem,
            Wenn man alles woertlich naehm,
            Wie's da durcheinander blueht! -
            Diese Ritter - gute Leute,
            Ehrlich, tapfer, brave Reiter -
            Gegen uns doch Baerenhaeuter!
            Eigentlich sind wir wohl weiter.
            Lehnstreu - Kloester - Barbarei -
            Davon machen wir uns frei.
            Fangen wir so an zu sichten:
            Fuercht ich, bleibt es bei Gedichten
            Nein doch! Eines, geht mir bei,
            Eines bleibt doch: dies Vernichten
            Aller Modesklaverei! -
            Hohe Vaterlaenderei!

«Внук Германа»

По-старонемецки говорить будем?
Это то, что читают в книгах люди:
Умные кони – попоны роскошные,
Распри, кресты и герои возможные –
О, как прекрасна эта жизнь!
Божественна! Однако, с различьями.
Понятно, что люди имеют в виду –
Но это было так неудобно,
Когда всё буквально, когда всё дословно,
Как же всё вперемешку цветёт!
Эти рыцари – славные люди,
Честные, смелые, храбрые всадники –
А против нас лентяй восстаёт!
Но мы уже далеко от них.
Весна, монастырь и варварство наше –
Свободны мы от этой каши.
И вот теперь начинаем отбор:
Только боюсь, что стих слишком скор.
Нет же! Один минует меня,
Другой останется, что отрицает
Всякое рабство нашего дня
И Родину благословляет!


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